Month: May 2018

भेद/अभेद

भेद से पर्याय की ओर दृष्टि जाती है, अभेद से गुणों की ओर । आचार्य श्री विद्यासागर जी

Read More »

अनश्वरता

शास्त्रों का क्षय हो रहा है, गुरुओं, भगवानों (जो अनंत शक्ति वाले थे) का मरण हो रहा/हुआ है ; ये सब संसार की अनश्वरता को

Read More »

सत्य

सत्य को ख्व़ाहिश होती है… कि… सब उसे पहचानें और झूठ को हमेशा डर लगता है… कि… कोई उसे पहचान न ले । मंजू

Read More »

बड़ा पाप/पुण्य

पाप से भी बड़ा पाप है – “पाप को स्वीकार ना करना” । स्वीकार करते ही वह प्रायश्चित बन जाता है, तप कहलाता है ।

Read More »

प्रदेशी

बहुप्रदेशी भी अभेद दृष्टि से एक प्रदेशी कहा जा सकता है, क्योंकि प्रदेश खंड़ित नहीं होते जैसे सूत की माला में गाँठें । जैसे चारों

Read More »

देव पर्याय

हलके मन या ऊपर से किये गये धर्म से देव पर्याय तो मिलेगी पर निचली जैसे ग्रास तो मिलेगा पर गटकना पड़ेगा । आचार्य श्री

Read More »

परिश्रम

थकावट तब आती है जब फुरसत होती है । लगातार परिश्रम करते समय तो थकावट पसीने में निकलती रहती है, चेहरे पर चमक आ जाती

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

May 4, 2018