Month: June 2018

सकारात्मकता

परछाई से कभी मत डरिये, उसकी उपस्थिति का अर्थ है… कि आस-पास कहीं रोशनी है ! (सुरेश)

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तप

अविरत सम्यग्दृष्टि का तप भी महान उपकारी नहीं होता है । क्योंकि वह मोक्ष नहीं दिला सकता है । मिथ्यादृष्टि कुतप से 12 वें स्वर्ग

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प्राण

शुद्ध दशा में चैतन्य प्राण हैं, अशुद्ध में क्षयोपशमिक इंद्रिय प्राण । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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कंजूसी

घर में हवन हो रहा था । पति को घी डालना था और पत्नि को सामग्री। दोनों बहुत थोड़ा-थोड़ा डाल रहे थे । हवन पूरा

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जिनवाणी और संतोष

भगवान की वाणी का अमृतपान करके भी जीवन में संतोष क्यों नहीं आ रहा है ? अमृत पीने से संतोष आये ही, ऐसा नियम नहीं

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स्त्री लिंग

शचि के इतने पुण्य, फिर भी स्त्री लिंग क्यों मिली ? डॉ. मोनिका आयुबंध के समय स्त्री सुलभ ममत्व या पत्नित्व आ गया होगा ।

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मतलबी

अजीब तरह के लोग हैं इस दुनिया में, अगरबत्ती भगवान के लिए खरीदते हैं और खुशबू खुद की पसंद की तय करते हैं! 🌹🌲🙏 शुचि

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पुण्य बंध

दीवार को भी पूरी श्रद्धा से पूजो तो पुण्य-बंध होगा पर कर्म निर्जरा नहीं (मिथ्यात्व के कारण) । मुनि श्री सुधासागर जी

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सुकून

Couplet by Urdu Poet Bashar – उन्हें कामयाबी में सुकून नज़र आया तो वो दौड़ते गए, हमें सुकून में कामयाबी दिखी तो हम ठहर गए

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मंगल आशीष

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June 30, 2018