Day: June 4, 2018

निद्यति/निकाचित

ये कर्म पुण्य (तथा पाप) रूप भी होते हैं जैसे तीर्थंकर, देवायु आदि । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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सन्मान

सन्मान हमेशा समय का होता है, लेकिन आदमी उसे अपना समझ लेता है । (मंजू)

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मंगल आशीष

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June 4, 2018