Month: June 2018
दान
दान में आनंद क्यों ? दान से मोह कम और मोह कम होगा, तो आनंद बढ़ेगा ही । दान तो मंगलाचरण है, इसीलिये पहली रोटी
परिभ्रमण
ज्योतिष्क देव अढ़ाई द्वीप में ही चक्कर काटते रहते हैं (बाहर के द्वीपों में नहीं) । शायद मनुष्य को याद दिलाने के लिये कि तुम
अकेलापन
बड़े अजीब अकेलेपन से गुजरते हैं, ये खण्डहर भी,, देखने तो बहुत आते हैं, रहता कोई नहीं.. (डॉ एस.एम.जैन)
प्रभु-प्रीति
रहने दे मुझको यूँ उलझा हुआ सा तुझमें , सुना है… सुलझ जाने से धागे अलग-अलग हो जाते हैं । (मंजू)
ज्ञान
4 प्रकार – 1. किताबी/अक्षर ज्ञान 2. धर्म का 3. अनुभव का 4. आत्म ज्ञान (सबसे बड़ा ) पहले 3 आत्म ज्ञान के साधन हैं ।
सब्र
सब्र करना सीख रहा हूँ, ये सोचकर कि…… बुरे वक़्त का भी बुरा वक़्त आता है ! (सुरेश)
परोपकार
शुद्ध वह जिसका मन शुद्ध हो, और मन शुद्ध होता है परोपकार से । (परोपकार अपना भी । सिर्फ अपनों का नहीं, वह तो हिंसक
बंध / सत्व / उदय
उदय में सत्व है भी और नहीं भी । बंध और उदय एक साथ नहीं होते । उदय पूर्वक ही क्षय होता है जैसे मतिपूर्वक
पाप पुण्य का फल
पाप पुण्य छोटे/बड़े नहीं होते , उनको करते समय भावों की तीव्रता उन्हें छोटा/बड़ा बना देती है । उसी अनुपात में उनके फल छोटे/बड़े हो
पुण्योदय / पापोदय
पुण्योदय में संकट नहीं आते, पापोदय में यदि धर्म करें तो संकट टलेगा तो नहीं क्योंकि धर्म अन्याय नहीं होने देगा । पर भविष्य में
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