Month: June 2018
कर्म वर्गणा
यह तो जड़ है, इसके आँखें, मन नहीं होते ! ये तो प्रभाव दिखाते समय छोटा/बड़ा, गरीब/अमीर देख ही नहीं सकता । इसलिये भगवान (बनने
इम्तिहान
पता नहीं कैसे परखता है, मेरा ईश्वर मुझे..? इम्तिहां भी मुश्किल ही लेता है, और फेल भी होने नहीं देता..! (मंजू)
सही / ग़लत
🌱🌷🌱🌷🌱 हम सही हो सकते हैं, लेकिन मात्र हमारे सही होने से सामने वाला ग़लत नहीं हो सकता…! 🌱🌷🌱🌷🌱 (सुरेश)
ऋद्धि
विष्णुकुमार मुनि ने ऋद्धियों का उपयोग 5 वें गुणस्थान में किया था । दूसरे मतानुसार… मुनि वेश में ही रक्षा की सो गुणस्थान 6 था (पं.रतनलाल
संवर/व्युच्छिति
संवर गुणस्थान विशेष में आस्रव हो सकता था, पर रोक लिया । व्युच्छिति गुणस्थान विशेष के बाद आस्रव नहीं हो सकता । मुनि श्री सुधासागर
अनेकांत
‘8’ का आधा कितना ? ‘4’ और ? अनेकांत लगाओ तो ‘3’ (यदि Vertical आधा करो) । ‘0″ (यदि Horizontal आधा करो तो) ।
कुलकोटी
पिता पक्ष नहीं, शरीर के योग्य Material की Variety । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
आलाप / वार्तालाप
आलाप – कथन पद्धति कम ना ज्यादा कथन की स्पष्टता वार्तालाप – वार्तालाप में कोई सिद्धांत नहीं आपस में आम बातचीत आ. श्री विद्यासागर जी
आशीर्वाद
“आ” से आनंद, “श” से शिव/मुक्ति । “व” से विशुद्ध, “द” से दया ।। आशीर्वाद से नकारात्मता कम होती है, सकारात्मकता और आत्मविश्वास बढ़ता है
अकाल मरण
6 गुणस्थान के ऊपर आयुकर्म की उदीरणा नहीं होती । मुनि श्री सुधासागर जी
Recent Comments