Month: July 2018
ज्ञानी
ज्ञानी की हर क्रिया में ज्ञान झलकता है – बोलने, चलने, देखने, सुनने में, चाहे परिस्थिति अनुकूल हो या प्रतिकूल, चाहे वस्तु अच्छी हो या
ज़िंदगी
ज़िदगी के नियम भी कुछ कबड्डी के खेल जैसे हैं । सफलता की लाइन टच करते ही, लोग आपके पैर खींचने लग जाते हैं ।
निमित्त / पुरुषार्थ
भटकन का मुख्य कारण पुरुषार्थ की हीनता । मारीच, भगवान का निमित्त पाकर भी भटकता रहा और मुनियों के संबोधन से पुरुषार्थ जाग्रत कर कल्याण
साक्षात दर्शन
कल्पना उसकी ही की जा सकती है जिसे कभी देखा हो । पत्थर की मूर्ति में यदि आज हम भगवान की कल्पना कर पाते हैं
अनादि सिद्ध
अनादि सिद्ध यानि जो अनादि से सिद्ध हैं, जैसे णमोकार मंत्र, उसे सिद्ध करने की जरूरत नहीं/उसके प्रभाव को सिद्ध करने की जरूरत नहीं ।
दिगम्बरत्व
वैज्ञानिक को अद्भुत (संसारिक) सिद्धांत मिल गया तो निर्वस्त्र होकर सड़क पर दौड़ता हुआ युरेका युरेका पुकारने लगा । दिगम्बर साधू को तो अद्भुत आत्मिक
मन और इंद्रियाँ
इंद्रियों का व्यापार जब रुकता है, तब मन का व्यापार (असली रूप में) शुरू होता है । आचार्य श्री विद्यासागर जी (मज़बूरी में मन को
यथार्थ
दो मित्र नित्य नदी पर जाकर डुबकी लगाते थे । Deal थी कि सिक्के पहले मित्र को मिलेंगे और सूरज (जिसका प्रतिबिम्ब नदी में दिखता
दान
अपने से अधिक पुण्यवान को देना, दान है; जैसे गुरुओं को आहार दान । कम पुण्यवान को तो सहायता/भीख दी जाती है । मुनि श्री
गुरु
चील ऊँचे पेड़ों पर घोंसले बनाती है । बच्चे बड़े हो जाते हैं तब घोसलों को तोड़ देती है ताकि बच्चे उड़ान भर सकें ।
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