Month: August 2018

धारणा

धारणा-मतिज्ञान एकेंद्रिय के भी होता है । मुनि श्री समयसागर जी

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कुभोग भूमि

कुभोग भूमि में कल्पवृक्ष नहीं होते, फलफूल बहुतायत में । मनुष्य/त्रिर्यंच युगलिया पैदा होते हैं । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी

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मूर्ति

मूर्ति ऐसी हो जिसमें धन ना दिखे, धन से दूर रहने की प्रेरणा मिले ।

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माला में मन

माला में मन इसलिये नहीं लगता क्योंकि सुबह से शाम तक वह चलायमान ही रहता है, वही संस्कार माला के समय रहते हैं । समाधान

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भाषा

जैन साहित्य की मूल भाषा – प्राकृत, बाद में अप्रभ्रंश, और उसके बाद संस्कृत आयी । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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Wants

If you want to advance in life, make sure that your wants don’t advance.

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सम्यग्दर्शन और तर्क

सम्यक्त्व की आवश्यकता के तर्क ना भी हों, पर उसे नकारें नहीं, तो भी कल्याण अवश्यम्भावी है । मुनि श्री मंगलानंद जी

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भगवान के दर्शन

मंदिर में भगवान की मूर्ति में मूर्तिवान को देखते तो चेहरे पर मुस्कान ना आती ! जैसी प्रियजनों को देखते समय आ जाती है ।

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मंगल आशीष

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August 31, 2018