Month: August 2018
गृहत्याग
जल से भिन्न कमल बच जाता है, पर जल बार-बार पंखड़ियों में घुसेगा तो वे सड़ेंगी ही । मुनि श्री मंगलानंद सागर जी
प्रेरणा / जागृति
प्रेरणा थोड़े समय के लिये ही कार्य करती है, अंतर-जागृति, निरंतरता प्रदान करती है । क्षु.श्री ध्यानसागर जी
भगवान / गुरु
भगवान धर्म की फसल के लिये बरसात है, गुरु नमी, जिससे एकाद फसल तो ले ही सकते हैं । आचार्य श्री विद्यासागर जी
मिथ्यात्व
मिथ्यात्व = झूठ, चाहे वह (झूठे) देव, गुरु, शास्त्र (ग्रहीत मिथ्यात्व, जो पहले समाप्त हो सकता है ) या शरीर को “मैं” मानने की अपेक्षा
अंत / वर्तमान
“अंत -भला सो सब-भला” से ज्यादा सत्यता इसमें है – “आज-भला सो सब-भला” ।
शांतिधारा
आदिपुराण में भरत के अशुभ स्वप्न के लिये शांतिधारा करने का वर्णन आता है । बाद में माघनंदी कृत अभिषेक पाठ का वर्णन आता है
प्रमाद
प्रमाद, मोक्षमार्ग में अकुशलता, या संसार में कुशलता है । मुनि श्री विनिश्चयसागर जी
मोह
ध्रतराष्ट्र को दिखता नहीं था, पर जब भी सिंहासन की ओर मुँह करते थे उस पर दुर्योधन ही बैठा दिखता था ।
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