Month: September 2018
मन
मन वस्तु के पास जाता है या वस्तु मन के पास आती है ? मन और चक्षु इंद्रिय, अप्राप्यकारी होते हैं, जिनके पास ना वस्तु
भक्ति
जब शक्ति अंदर है तो भक्ति का क्या Role ? भक्ति कुदाल है, जो अंदर की शक्ति को खोदकर बाहर निकालती है । भक्ति अंजुरी
पंचमकाल
पंचमकाल को “कलिकाल” भी कहते हैं, क्योंकि इसमें “कल्कि” पैदा होते हैं ।
आयुबंध
बांधी हुई आयु बढ़ नहीं सकती, जैसे किसी प्रश्नपत्र के पूर्णांक 100 हों तो आप 100 से ज्यादा कैसे ला सकते हैं ! प्राय: 100
कार्यसिद्धी
श्रावक के धन और तन रूपी दीपक में जब गुरु के मन और वचन रूपी घी और बाती आ जाती है, तब प्रकाश होता है/सामाजिक
मंत्र पठन
णमोकार मंत्र – सामान्य पठन जैसे रोटी निगलना, 3 श्वासों के साथ पढ़ना जैसे रोटी चबा चबा कर खाना । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
साधु / श्रावक
जब तक साधु, तब तक श्रावक; साधु के ना रहने/उनको ना मानने पर मनुष्य तो रहेंगे पर साधुता रहित जैसे अनियंत्रित आणविक शक्ति ।
नील लेश्या
नील लेश्या पूरा (जान से) तो नहीं मारती पर कुछ करने योग्य भी नहीं छोड़ती (जैसे हाथ पैर कट जाना) । मुनि श्री विनिश्चयसागर जी
गुरु / शिष्य
गुरु ठोंकेगा पर, हाथ का सहारा देकर; शिष्य ठुकेगा, पर (अपने) हाथ का सहारा लेकर; किसी तीसरे का सहारा ले लिया तो बेसहारा हो जायेगा
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