Month: January 2019
वैय्यावृत्ति
रत्नत्रय-धारियों की निर्दोष रीति से उनका कष्ट दूर करना । रत्नत्रय-धारियों के अलावा की वैय्यावृत्ति करने से पुण्यलाभ तो होगा पर निर्जरा नहीं । गुरुवर
भुक्खड़
रेशम का कीड़ा 56 दिन में अपने वज़न से 86000 गुना भोजन खा लेता है । ऐसा भुक्खड़ ज़िंदा उबाला जाता है । जरूरत से
अंतरजातीय विवाह
चक्रवर्ती भी तो अंतरजातीय विवाह करते थे ? पहले धर्म एक था, जाति कर्मानुसार अलग अलग होती थी । मुनि श्री सुधासागर जी
धर्म में असफलता
धर्म में हमारी दाल क्यों नहीं गल रही ? क्योंकि हम अपनी दाल को गुनगुने पानी में पका रहे हैं । जरा सी गर्मी लगते
व्रत में पुण्याश्रव/संवर
अहिंसा रूप प्रवृत्ति से पुण्याश्रव और हिंसा की निवृत्ति से संवर । ज्ञानशाला
नारी और ताड़ना
“…………….गंवार,पशु और नारी ये सब ताड़न के अधिकारी” यहाँ “नारी” वासना की प्रतीक है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
अति
शरबत में अति का मीठा डालने पर उसका स्वाद खराब हो जाता है, नुकसान भी करता है ।
बीज़ाक्षर
जब बीज़ाक्षर आम मनुष्य और अन्य समझ ही नहीं पाते तो भगवान उनका प्रयोग क्यों करते हैं ? ताकि कम समय/शब्दों में अधिक से अधिक
कारण / कार्य
कारण, कार्य से ज्यादा महत्वपूर्ण है । कार्य को महत्व देने वाले दु:खी रहते हैं ।
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