Month: April 2019
तीर्थंकर प्रकृति
नरक और स्वर्ग में तीर्थंकर प्रकृति बांधे असंख्यात असंख्यात जीव हैं । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
Excellence
It is not only fine feathers that make fine birds. (पंखों में शक्ति/ अभ्यास/ ऊँचाई तथा दूर तक उड़ने की निडरता महत्वपूर्ण होती है)
निगोद के कारण
इतर-निगोद जाने का कारण तो तीव्र पाप है, पर नित्य-निगोद में जीव स्वभाववश रहता है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
दुर्जन
दुर्जनों के साथ मैत्री या बैर कुछ भी नहीं करना चाहिए , कोयला जलता हुआ है तो स्पर्श करने पर जला देता है और ठंडा
जीवत्व/चेतना
जीवत्व – जीवपना, चेतना – जानने देखने की शक्ति । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
सुकून
चौराहे पर खड़ी ज़िंदगी, नज़रें दौड़ाती है… 👀 काश कोई बोर्ड दिख जाए, जिस पर लिखा हो… ✍🏻⏬ “सुकून”.. “0” कि.मी. (धर्मेन्द्र)
सम्यग्दर्शन की योग्यता
सम्यग्दर्शन पाने की तथा आहार देने की योग्यता 8 वर्ष पर प्राप्त होती है । ये 8 वर्ष, 9 माह गर्भ सहित तथा इसे छोड़कर
Company
In a company/home the supervisor/mother is the person the employee/child sees as the… “Company”
सज्जातीय विवाह
श्री आदिपुराण जी भाग 2 पेज 277 पर आचार्य जिनसेन जी ने सज्जातीय विवाह की आवश्यकता बतायी है।
स्वाभिमान / अभिमान
स्वाभिमान से विनम्रता बढ़ती है, अभिमान में घटती है । स्वाभिमान में दोनों हाथ पीछे से आगे लाना है (पीछे वालों को साथ लेकर चलना),
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