Month: June 2019
अतिचार / भावनाऐं
अतिचारों से बचाव व्रतों को निर्दोष बनाते हैं, भावनाऐं उन्हें द्रढ़ करतीं हैं। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
मुक्ति
पांच पहर धंधा किआ, तीन पहर* गये सोय, एकौ घड़ी ना हरि भजे, मुक्ति कहाँ से होए ! पहर = 3 घंटे (नरेश सैनी)
सासादन में ज्ञान
सासादन में ज्ञान मिथ्याज्ञान क्यों कहा है जबकि मिथ्यात्व तो उदय में आया नहीं ? अनंतानुबंधी के उदय की अपेक्षा से कहा है । पं.
दोस्त
हाथ क्या मिलाया कुछ दोस्तों से, कमबख़्त! दुःख की लकीरें ही मिटा गए..! (मंजू)
मोक्षमार्ग में संसार का महत्व
मोक्षमार्ग में संसार खाद है, गंदी होते हुये भी मोक्षरूपी फसल के लिये आवश्यक है । तभी तो आदिनाथ भगवान ने तीर्थंकर होकर भी कृषि
अष्टांनिका/पर्यूषण
अष्टांनिका/पर्यूषण में बड़ा कौन ? अष्टांनिका भक्ति का पर्व है, इसीलिये श्रावकों के लिये ज्यादा महत्वपूर्ण/उपयोगी है, पर्यूषण आध्यात्मिक पर्व होने से मुनियों के लिये
प्रवचन
प्रवचन स्वाध्याय में तभी माना जायेगा जब वह प्रवचन स्वयं के लिये दिया गया हो । मुनि श्री सुधासागर जी
अभ्यास
व्यवसाय को नौकरी से अच्छा इसलिये कहा… क्योंकि यह Running है (मरने के बाद भी बच्चों को मिलेगा) । ज्ञान, तप, नियम ऐसे ही बेहतर
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