Month: July 2019

देवों में प्रमाद

1. चौथे गुणस्थान से ऊपर नहीं जाते । 2. जब जो चाहिये, तुरंत मिलना चाहिये । (प्रायः मिल भी जाता है) आचार्य श्री विद्यासागर जी

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बड़ा आदमी

मत बन बड़ा आदमी, छोटेपन का मज़ा अनूठा होता है ! समंदर में मिलने से पहले तक ही, हर नदी का पानी मीठा होता है

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देवों का वैभव

ऊपर ऊपर के देवों का वैभव कम होता जाता है, वैभव की इच्छा भी कम, Attachment कम, संतोष ज्यादा । पं.रतनलाल बैनाड़ा जी

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शब्द / अर्थ

हमेशा हर किसी की बातों का अर्थ मत खोजना, शब्दों और मायनों में अक्सर अनबन रहती है ! (डॉ.पी.एन.जैन)

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आत्मा / शरीर

क्या आत्मा इतनी कमजोर है कि दुर्घटना होने पर/शरीर टूटने पर निकल जाती है ? क्या राजा टूटी फूटी कुर्सी पर बैठेगा !! मुनि श्री

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रुतवा

गर्मी जाने लगी और कानों में इतना कह गयी कि.. गर्मी किसी की भी हमेशा के लिए नहीं रहती । (सुरेश)

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पुण्य के भेद

लाभांतराय भोगांतराय उपभोगांतराय दानांतराय वीरांतराय के क्षयोपशम रूप । मुनि श्री सुधासागर जी

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स्मृति / बैर

लम्बे अरसे के बाद किसी के दुर्व्यवहार का स्मरण आने से अनंतानुबंधी कषाय नहीं, स्मरण के साथ यदि दुर्भावना आयी तो तीव्र बंध होगा, कषायानुबंध

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मंगल आशीष

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July 16, 2019