Month: July 2019
निमित्त / उपादान
पुण्य निमित्त का नहीं उपादान का होता है, तभी निमित्त मिलता है । मुनि श्री सुधासागर जी
खिचड़ी
💦💧💦💧💦💧💦 खिचड़ी यदि बर्तन में पके तो बीमार को ठीक कर देती है, और यदि दिमाग में पके तो इंसान को बीमार कर देती है
ज्योतिष्क देवों का गमन
ज्योतिष्क देव मेरूओं की परिक्रमा नहीं करते । वे तो अपनी अपनी कक्षाओं में चलते रहते हैं । धातकी खंड तथा पुष्करार्ध में तो मेरूओं
आपदा
हम सही से जीते रहें, तो आपदायें आसानी से जीती जा सकती हैं । आचार्य श्री विद्यासागर जी
आकाश में उत्पाद/व्यय
आकाश द्रव्य में अलग अलग अवगाहना वाले द्रव्य अलग अलग समय और स्थानों पर स्थान पाते हैं, उससे उत्पाद/व्यय समझना चाहिये । मुनि श्री सुधासागर
सच्चा गुरु
सच्चा गुरु वह जो शिष्यों के अनुसार ना चले (उन्हें खुश रखने), बल्कि शिष्यों को अपने/आगम के अनुसार चलाये । मुनि श्री सुधासागर जी
गति-बंध
गति-बंध के वही कारण होते हैं जो आयु-बंध के । इसीलिये आयु-बंध के समय गति भी आयु-बंध वाली ही बंधती है । मुनि श्री सुधासागर
संगति
मोहर में अक्षर उल्टे लिखे होते हैं (हमारे संस्कार), पर स्याही की (सु)संगति पाकर उसकी छाप सीधी आती है । (डॉ.पी.एन.जैन)
पूजा / स्वाध्याय
पूजा में स्वाध्याय है, क्योंकि भगवान का गुणानुवाद है; पर स्वाध्याय में पूजा नहीं, क्योंकि उसमें नरकों का ही वर्णन चल रहा हो । मुनि
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