Month: July 2019

संसार भ्रमण

“ये कर्म घुमाता है मुझको…” वास्तव में ये कर्म नहीं घुमाता है, कर्म के उदय में हम जो रागद्वेष करते हैं वह घुमाता है ।

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भक्ति / तप

जिनको तप से डर लगता है वे कम से कम भक्ति करके अपने कल्याण की शुरुआत करें । फिर तप की क्या ज़रूरत ? काढ़े

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रागद्वेष

राजा के शत्रु का कहना मानने वाला राजा का हितकारी कैसे हो सकता है ! रागद्वेष, मिथ्यात्व (झूठी धारणा) को मानने वाला अपनी आत्मा/अपना हितकारी

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भक्ति से तृप्ति

जैसे मिठाई के नाम से ही मुँह में गीलापन आ जाता है/ तृप्ति सी लगने लगती है, ऐसे ही भक्ति से भगवान आ नहीं जाते,

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मन / मान

मन का विषय नहीं पर खुराक है – “मान”, दोनों ही दिखते नहीं है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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समता भाव

यदि सामने वाला समता भाव के योग्य न हो तो ? समता भाव अपनी योग्यता के अनुसार धारण किया जाता है न कि सामने वाले

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नियम

नियम लेने से पहले अपनी क्षमता और आसपास के वातावरण को ध्यान में रखें । नियम लेने के बाद उसे बनाये रखने के फायदे और

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योग-निरोध

सामान्य-केवली भी योग-निरोध करने एकांत में चले जाते हैं/समवसरण में बैठे हों तो समवसरण छोड़ देते हैं क्योंकि समवसरण में कोई शरीर नहीं छोड़ता है

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कटु शब्द

दुश्मन की मारी हुई “गोली” तो हम फौरन निकलवा देते हैं, फिर “बोली” क्यों नहीं !

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मंगल आशीष

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July 6, 2019