Month: September 2019

सम्यग्दर्शन

सच्चे देव, शास्त्र, गुरु पर श्रद्धा से ही सम्यग्दर्शन नहीं होगा, अभिप्राय भी सच्चा होना चाहिये । श्री समयसार जी

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उत्तम आर्जव

आर्जव = मायाचारी का उल्टा/ सरलता ■ सरलता देखनी/सीखनी है तो छोटे बच्चों से सीखें । • सरल होने के लिए, लोहे की छड़ की

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पर्याप्तक

पर्याप्तक तथा अपर्याप्तक प्रकृतियाँ सत्ता में साथ साथ रहते हैं । विग्रहगति में अपर्याप्तक अवस्था रहती है । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी

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उत्तम मार्दव

मान का न होना । मद = मान का नशा । मद 8 चीजों का— जाति, कुल, ज्ञान, बल, रूप, तप, पूजा, रिद्धि । मद

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विदेह

सम्यग्दृष्टि विदेह होने की बात करता है, विदेह क्षेत्र जाने की नहीं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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उत्तम क्षमा

■ क्षमा से बैर नहीं रखना । आचार्य श्री विद्यासागर जी ■■ क्षमा कैसे करें ? बस क्षमा करके, क्षमा करें / बैर छोड़ दें,

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कर्म का विभाजन

जिस अनुभाग व स्थिति से कोई कर्म-बंध होता है, उसी अनुभाग व स्थिति से 7 कर्मों में विभाजन होता है । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी

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पर्यूषण

🌻🌻महापर्व पर्युषण🌻🌻 नहीं उपवास कर पाओ, तो तुम उपहास से बचना। अगर दर्शन न हो संभव, प्रदर्शन से ही तुम बचना। कमी वंदन में रह

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नारद

नारद के उदिष्ट-त्याग नहीं होता । सिर्फ भेषभूषा से ही क्षुल्लक जाने जाते हैं । मुनि श्री सुधासागर जी

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चिंता / चिंतन

चिंता एक विषय पर अटक जाना, चिंतन एक विषय से आगे बढ़ जाना । चिंता से बचने का चिंतन सही/आसान तरीका है । मुनि श्री

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मंगल आशीष

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