Month: October 2019

संवर / निर्जरा

संवर निर्जरा चारों गतियों में होती है । देव/नारकियों के सम्यग्दर्शन प्राप्ति के समय असंख्यात गुणी निर्जरा तथा संवर तो पहले से तीसरे गुणस्थान की

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पैसा

गृहस्थ का पैसा तब बहुत बुरा, जब बुरे काम में लगे, बुरा, जब किसी भी काम में न लगे । ये एक ही पाप है,

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अध्यवसान

अध्यवसान भाव रूप/रागद्वेष रूप परिणाम, क्रिया रूप नहीं । ज्ञानशाला

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नाखून

ना + खून = जिसमें खून ना हो । डॉक्टर नाखून देखकर बीमारी का पता कर लेते हैं । पर तुम तो नाखून पर Nail

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कायोत्सर्ग

मूलाचार के अनुसार उत्कृष्ट कायोत्सर्ग 6 माह, जघन्य 9 णमोकार । अन्य आचार्य 12 माह मानते हैं, जो बाहुबली महाराज ने किया था । आचार्य

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आत्म-कल्याण

घर में रहकर आत्म-कल्याण कैसे करें ? घर को “मेरा” ना मान कर, “बसेरा” मानना शुरू कर दो । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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कषाय / परिग्रह

कषाय को परिग्रह में क्यों लिया ? परिग्रह है चीजों का संग्रह/उनसे ममत्व, राग कषाय है, राग से ही करते हैं संग्रह/ममत्व, इसीलिये कषाय को

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मनुष्य / पशु

संक्रामक बीमारियाँ प्राय: पशुओं से फैलती हैं, पर भावनात्मक मनुष्यों से जैसे बेवफ़ाई आदि । चिंतन

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श्रावक का पुण्य

श्रावक का पुण्य बहुत ताकतवर होता है … 1) उसके पुण्य से तीर्थंकर भी खिंचे चले आते हैं (आहार के लिये) , सौधर्म इन्द्र में

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मंगल आशीष

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October 16, 2019