Month: June 2020
समयसार
समयसार का सार ये है कि -“समय को कब/कहाँ/कितना” लगाना है । समयसार भी अनेक हैं – मूलाचार में समयसार अधिकार है, जो समयसार ग्रंथ
विसर्ग
विसर्ग विसर्जन से बना है यानि रुकना जैसे दु:ख (जीवन की गति को रोकता है) । आशुतोष भय्या
स्व-पर
अन्य द्रव्यों में परिणाम – यदि शुभ तो पुण्य, अशुभ तो पाप । स्वयं में परिणाम – दु:खों का क्षय । मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
सुंदरता
“सत्यम् शिवम् सुंदरम्” सत्य यही है कि जब तक शिव (आत्मा) है तभी तक सुंदरता है (शरीर की) । सो सुंदरता तो आत्मा की ही
त्याग
आलू आदि छोड़ने से बेहतर है – खाने योग्य कुछ को रखकर बाकी सबका त्याग करना, क्योंकि – 1. त्याग का अभिमान नहीं आयेगा 2.
समर्पित /ज़िद्दी
समर्पित इच्छाओं को श्रद्धेय के चरनों में समर्पित करता है, ज़िद्दी इच्छाओं की पूर्ती श्रद्धेय से कराना चाहता है, अपने जीवन को रद्दी बना देता
दया
प्रवृत्तिरूप दया छ्ठे गुणस्थान तक, निवृत्तिरूप सिद्ध भगवान में भी (किसी को बाधा नहीं) । मुनि श्री सुधासागर जी
भैंस के आगे बीन
रे गंधी मत अंध तू, असर (इत्र) दिखावत काय ! जो कर फुलेल कौ आचवन (पीना), मीठा कहत सराह !! (श्री लालमणी भाई)
श्रावकों को संबोधन की पात्रता
मुनि भवदेव के अपनी पत्नी की कुशलक्षेम पूछने पर वैश्या ने बहुत सारी कथा सुनाकर संबोधन किया, राग को वमन ग्रहण करने की वीभत्स तुलना
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