Month: July 2020
अभिषेक
“सहस्त्र अठोत्तर कलशा, श्री जी के सिर ढ़ुरें….” अभिषेक के समय नहीं पढ़ना चाहिये, क्योंकि हम जन्माभिषेक नहीं जिनाभिषेक करते हैं । मुनि श्री सुधासागर
भोजन
गृहस्थ को भी भोजन माँग कर नहीं खाना चाहिये, ना ही परोसी हुई के अलावा माँगना चाहिये । अन्य कारणों के अलावा यह स्वाभिमान का
राग / द्वेष
राग यानि “ये मेरा है”, द्वेष यानि “ये मेरा नहीं है” । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
कोरोना / बुराई / सावधानी
कोरोना से बचने का सबसे प्रभावक उपाय है…. सबमें कोरोना देखना/मानना, उनके सम्पर्क से बचना । 2) बुराईयों से बचने का भी यही उपाय है….
सूतक और मंदिर
सूतक में मंदिर में प्रवेश वहाँ तक कर सकते हैं जहां तक वाद्ययंत्र बजाने वालों का प्रवेश होता है, जहाँ अभिषेक होता है वहाँ ना
माध्यस्थ
अंधों की बस्ती में, आँखों की महिमा गाओगे तो वे तुम्हारी आँखें फोड़ देंगे । वहाँ माध्यस्थ भाव रखें । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
णमोकार/भक्तामर
णमोकार को पवित्र/अपवित्र किसी भी स्थान पर ध्याया जा सकता है तो भक्तामर को क्यों नहीं ? वैसे तो भक्तामर भक्त की वाणी है, पर
आत्मा
आत्मा में स्पर्श/स्वाद/गंध/वर्ण नहीं होता, पर आत्मा ही स्पर्श/स्वाद/गंध/वर्ण को महसूस करती है । चिंतन
भेद-विज्ञान
भेद-विज्ञान दिखता है । भेद करके ज्ञान करना ही सच्चा विज्ञान/ भेेेद-विज्ञान हैै । भेद पहले बाह्य पदार्थों से, फिर आत्मा और कर्मों में करना
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