Month: October 2020
सम्यग्दर्शन/सम्यक्त्व
सम्यग्दर्शन परिणति है, सम्यक्त्व भाव है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
संकल्प / विकल्प
खेती का संकल्प लेते ही विकल्प शुरू हो जाते हैं, याने खतपतवार पहले तथा साथ-साथ उगता रहता है । किसान को समय-समय पर साफ सफाई
अविनाभाव संबंध
जहाँ ये है, वहाँ वो भी है । जहाँ ये नहीं है, वहाँ वो भी नहीं है । मुनि श्री सुधासागर जी
अकृत्रिम – मूर्ति
पूजाओं(नन्दीश्वर पूजा) में आता है कि अकृत्रिम-मूर्ति ऐसी दिखती हैं जैसे बोल रही हों, तथा यह भी कहा गया है कि उनके दाँत वज्र के
ध्यान
ध्यान में मन भटकता क्यों है ? जिनका मन दिन-भर भटकता है, उनको रात में सपने बहुत आते हैं और भटकने वाले होते हैं ।
सिद्धों में वीर्यत्व
सिद्धों में अनन्त वीर्यत्व, दूसरे पदार्थों के द्वारा प्रतिघात ना हो पाने की अपेक्षा घटित होता है । आर्यिका श्री विज्ञानमति माताजी
भोग
भोग को मिठाई की तरह भोगोगे (स्वाद ले ले कर, खूब मात्रा में) तो दवाई खाना पड़ेगी । दवाई की तरह लोगो (मजबूरी/ कम मात्रा
योग / कषाय
आश्रव योग से, बंध कषाय से । सो पहले कषाय (कम करते करते) समाप्त करो । मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
जैन दर्शन
अन्य दर्शनों की तरह, जैन दर्शन का एक शास्त्र क्यों नहीं ? अन्य दर्शनों में भगवान अकेला कर्ता होता है, जैन दर्शन में हर जीव
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