Month: October 2020
पापोदय
कर्म और नोकर्म मिलजुल कर फल देते हैं । पापोदय हो तो नोकर्म बदल लो (द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव) । पुण्योदय में भी सावधानी बरतें
पुण्य
पुराने पुण्यों से खटिया मिलती है, नये पुण्य कमाने के लिये खटिया खड़ी करनी होती है । मुनि श्री अविचलसागर जी
त्रस-नाली
नाली याने बड़े स्थान में सकरा स्थान निकालना । इसलिये इसे त्रस-नाली कहते हैं । (त्रस जीवों के रहने का सकरा स्थान) मुनि श्री सुधासागर
माँ भक्त
आज के माँ-भक्त, हाथ पर माँ का टैटू बनवाकर, माँ से दूर चले जाते हैं ।
गंधोदक
पुत्र/पुत्री के पैदा होने पर प्रथम दर्शन गंधोदक लगाकर ही करें, माँ को भी लगायें । त्रियंच (जिनके सदैव सूतक रहता है) को भी लगाया
तपादि के कष्ट
तप आदि के कष्ट वैसे ही हैं, जैसे फोड़े को ठीक करने के लिये डॉक्टर पहले फोड़े को फोड़ता है/कष्ट होता है । उपचार करा
सुनना
देशनालब्धि का महत्व प्रवचन से भी ज्यादा है, सो सुनना सीखो । प्रवचन “आय” है, उसका सदुपयोग “खर्च” । प्रवचन सिर्फ सुनने/टाईम पास/मनोरंजन नहीं है
सरल बनना
सरल बनने के दो तरीके हैं – 1. माला जपें – मुझे सरल बनना है । 2. आसपास के लोगों को भी यही बता दें
आध्यात्म ग्रंथ
द्रव्यानुयोग के 3 भाग – 1. न्याय 2. आध्यात्म 3. जीव के वर्णन वाले ग्रंथ आध्यात्म, द्रव्यानुयोग में आयेगा; परन्तु सारे द्रव्यानुयोग के ग्रंथ आध्यात्म
कर्म
ज्ञानीजन, कर्कशा पत्नि/दुर्जन पुत्र का नाम ही कर्म रख लेते हैं । पापोदय को काटने में सहजता हो जाती है ।
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