Month: December 2020

अनंतानुबंधी

दूसरे का नुकसान करने के लिये, अपना नुकसान सहने को तैयार । जैसे मैं मरूँ या ज़ीऊँ, दुश्मन को मिटाकर रहूँगा । मुनि श्री सुधासागर

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सत्य

घड़ी बंद करने से घड़ी तो बंद हो सकती है, पर समय नहीं; झूठ छिपाने से झूठ तो छुप सकता है, पर सत्य नहीं ।

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विकार / संयम

घर/संसार है तो गंदगी तो निकलेगी ही । यदि निकासी के लिये व्यवस्थित नाली नहीं बनाई तो गंदगी घर/संसार में चारौ ओर फैलेगी ही जैसे

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माता / पिता

माँ सोचती है… बेटा आज भूखा ना रहे, पिता सोचता है कि बेटा कल भूखा ना रहे । बस यही दो सम्बन्ध ऐसे हैं संसार

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अभिषेक/कपड़े

घर से नहाकर मंदिर में धोती दुपट्टा पहनकर अभिषेक करने में बुराई नहीं है । मुनि श्री सुधासागर जी

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ज़रूरत

संसार ज़रूरत के नियम पर चलता है… सर्दियों में जिस सूरज का इंतज़ार होता है, उसी सूरज का गर्मियों में तिरस्कार भी होता है ।

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संलेखना बोध

तुम लोग मेरी इस पर्याय की अंतिम अवस्था देख रहे हो, मैं संसार की अंतिम पर्याय की ओर दृष्टि ।

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भाग्य / पुरुषार्थ

यूँ ही नहीं होतीं हाथों की लकीरों के आगे उँगलियाँ…! रब ने भी किस्मत से पहले मेहनत लिखी है…!! (सुरेश)

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विषय-भोग

विषय-भोग की तुलना हलाहल से की गयी है । विषय-भोग सुमेरु पर्वत (सबसे बड़ा/हिमालय से भी बड़ा), हलाहल (सबसे बड़ा विष) राई । आचार्य श्री

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शास्त्र / गुरु

शास्त्र मित्रवत पर गुरु शत्रुवत व्यवहार करते दिखते हैं । मुनि श्री सुधासागर जी

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मंगल आशीष

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