Month: December 2020
मोह
अपने और अपनों से मोह में इतना दोष नहीं… सीता भी तो राम से बहुत मोह करतीं थीं, तभी तो स्वर्ग से राम की तपस्या
धीरज
सफलता की ऊंचाई पर हो तो धीरज ज़रुर रखना चाहिये, क्योंकि… पक्षी भी जानते हैं , कि आकाश में बैठने की जगह नहीं होती। (दिव्या)
दोष निवारण
प्रतिक्रमण = पूर्व के दोषों की स्वीकृति/ पश्चाताप, आलोचना = वर्तमान के दोषों की; प्रत्याख्यान = आगे दोष न करने का संकल्प । कुंद कुंद
सफ़र
असल में वही जीवन की चाल समझता है… जो सफ़र में आयी धूल को गुलाल समझता है । (अनुपम चौधरी)
नामकर्म
शरीर के निर्माण में नामकर्म-वर्गणायें खुद शरीर नहीं बनातीं, वे शरीर निर्माण योग्य के योग्य वर्गणाओं को आकर्षित करतीं हैं, तब उनसे शरीर का निर्माण
प्रेम
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 “चाबी” से खुला “ताला” बार बार “काम” में आता है, और “हथौड़े” से “खुलने” पर दुबारा काम का नहीं रहता । इसी तरह “संबन्धों”
तत्त्वार्थ-सूत्र
श्रावकों के लिये तत्वार्थ-सूत्र मुख्यत: सातवें अध्याय तक, दान की चर्चा करके समाप्त । आगे मुख्यत: मुनियों के लिये, हाँ ! श्रावक अभ्यास कर सकते
नियम
घड़ी की सुईयाँ अपने नियम से चलती हैं, इसलिए लोग घड़ी पर विश्वास करते हैं । आप भी नियम से चलोगे तो, लोग आप पर
प्रमाद/कषाय
प्रमाद तो थोड़े समय के लिये आता है, कषाय तो जन्मजन्मांतरों तक चल सकती है । (इसलिये निचले गुणस्थानों में मुख्यत: कषाय की चर्चा की,
पवित्रता
शरीर कभी भी पूरा पवित्र नहीं हो सकता, फिर भी सभी इसकी पवित्रता की कोशिश करते रहते हैं ! मन पवित्र हो सकता है, मगर
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