Day: February 15, 2021

रमण

जहाँ रमण नहीं, वहाँ स्मरण । आचार्य श्री वसुनंदी जी सम्यग्दृष्टि देव रमण में भी शुभ स्मरण तथा मिथ्यादृष्टि शुभ रमण में भी अशुभ स्मरण

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अनुभव / अनुभूति

अनुभव दूसरों का भी होता है(काम स्वयं के भी आता है) जैसे ज़हर से दूसरों को मरते देखकर होता है । अनुभूति स्वयं की ही

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मंगल आशीष

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February 15, 2021