Month: March 2021
योग्यता
त्रैकालिक योग्यता से तात्कालिक योग्यता आती है जैसे आटे से रोटी बनना । आचार्य श्री विशुद्धसागर जी
Happy Life
Two wonderful words for happy life…. “MINIMUM” for requirements, and “MAXIMUM” for adjustments. (Suman Lata)
लिंग और धर्म
बाह्य लिंग मात्र होने से धर्म की प्राप्ति नहीं, पर बिना बाह्य लिंग के भी धर्म की प्राप्ति नहीं होती है । श्री अष्टपाहुड़ –
अच्छाईयाँ
आप की अच्छाईयाँ बेशक अदृश्य हो सकतीं हैं | लेकिन इनकी छाया हमेशा दूसरों के ह्रदय में सदृश्य दिखती रहतीं हैं । (सुरेश)
क्षयोपशम-भाव
ज्ञानावरणादि चारों घातिया कर्मों के क्षयोपशम होने पर, गुणों के अंश रहने से जो भाव आते हैं, उन्हें क्षयोपशम-भाव कहते हैं । पं. रतनलाल बैनाड़ा
हुंडावसर्पिणी
हुंडावसर्पिणी दस कोड़ाकोड़ी सागर का, यानि सुखमा-सुखमा से लेकर दुखमा-दुखमा तक होता है, चाहे 1, 2, 6ठे काल में इसका प्रभाव दिखे या न दिखे
आत्म-निंदा
आत्म-निंदा निराशा का कारण नहीं, आत्मा के शुद्धिकरण में सहायक होती है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
अनुजीवी
अनुजीवी गुण, जो सदैव आत्मा के साथ रहते हैं, पूर्ण या ढ़के हुये जैसे ज्ञानावरणादि । मुनि श्री सुधासागर जी (“अनु” यानि छोटा, वह तो
बीरबल की खिचड़ी
हमारी खिचड़ी* इसलिये नहीं पक पा रही है क्योंकि धर्म/गुरुओं का ताप दूर से/यदाकदा दे रहे हैं । चिंतन * आत्मोन्नति/ धर्म की
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