Month: March 2021
मतमतांतर
स्वयंम्भूरमण द्वीप में इतनी विशुद्धि कि स्वर्ग मुख्यरूप से वहीं से भरता है । जबकि वहाँ देव, शास्त्र, गुरु तथा आयतन भी नहीं हैं, फिर
भाग्य / पुरुषार्थ
पुरुषार्थ से लेखन, जो आगे चल कर भाग्य बन जाता है । पर फ़िर पुरुषार्थ से उसे मिटाकर ठीक भी कर सकते हैं ।
अश्रद्धावान
अश्रद्धावान/अजैन को धर्म की क्रियायें नहीं, जैन-धर्म के सिद्धांत बतायें । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
सक्रिय / निष्क्रिय
व्यक्ति को कहाँ सक्रिय रहना चाहिए और कहाँ निष्क्रिय ? सक्रिय – जहाँ पर स्व-पर का हित हो, अन्य जगहों पर निष्क्रिय ।
विधान
विधान मंदिर में ही करना चाहिये, घर में पाठ कर सकते हैं क्योंकि विधान भगवान की साक्षी में ही होता है । विनायक यंत्र रखकर
क्षमा
क्षमा कैसे करें ? बस क्षमा करके/बैर छोड़कर, उनसे भी जिनको पता ही नहीं कि तुम उनसे बैर करते हो । मुनि श्री अविचलसागर जी
मूलगुण
मुनि और अरहंत भगवान के मूलगुण हर समय क्रियारूप नहीं, संकल्परूप होते हैं । मुनि श्री सुधासागर जी
धन
धन पाप/पुण्य रूप नहीं होता । पाप/पुण्य में उसका उपयोग, उसे पाप/पुण्य रूप बनाता है ।
नरक में कर्म
नरक में इतने ख़राब भाव व द्रव्य हिंसा भी करता है तो पापकर्म कटेंगे कैसे ? पाप क्रियाओं की अपेक्षा दु:ख सहता ज्यादा है; अतः
मत/मन भेद
मन भेद में कषाय (क्रोध, मानादि) है, मत भेद में नहीं । मुनि श्री सुधासागर जी
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