Month: March 2021

स्वाहा

स्व (की वस्तुओं) का अर्पण मंगलरूप व्यवहार – सर्वनाश मुनि श्री सुधासागर जी

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जीना

जीना है तो जीना चढ़ जाओ, वरना जीना छोड़ दो । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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रागद्वेष / मोह

रागद्वेष कषाय जन्य है, मोह मिथ्यात्व से उत्पन्न/प्रेरित होने वाली चीज़ है । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

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नय

व्यवहार नय – पिता/पुत्र की अपेक्षा, “पर” सापेक्ष, भेद रूप, दर्जी द्वारा कपड़े के टुकड़े करना, निश्चय तक पहुँचाता है । निश्चय नय – पिता/पुत्र

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छवि

उस छवि की ही चिंता की जाती है, जिसकी छाया पड़ती है, जैसे मकान, कार, शरीर आदि । आत्मा की छाया पड़़ती नहीं , सो

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जन्मोत्सव

जन्म के 45वें दिन बच्चे को मंदिर ले जायें, पिता अभिषेक/पूजा करके बच्चे को गंधोदक लगायें, माता/पिता 8 साल तक बच्चे के अष्टमूलगुण पालन कराने

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कर्म-फल

फल एक बार ही स्वाद (खट्टा या मीठा) देता है, कर्म भी एक बार फल देकर झर जाते हैं । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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संसार

अशुभ और पाप ही संसार है – आचार्य समंतभद्र जी ; ऐसा निर्णय होने पर अशुभोपयोग से बच सकते हैं । मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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तपादि के कष्ट

तपादि के कष्ट वैसे ही हैं जैसे फोड़े को ठीक करने के लिये डाक्टर फोड़े को फोड़ता है/कष्ट होता है । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर

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मंगल आशीष

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March 11, 2021