Month: April 2021

आस्तिक / नास्तिक

हम न आस्तिक (भगवान को कर्ता नहीं मानते) हैं, ना ही नास्तिक (भगवान को मानते) हैं, बस वास्तविक हैं ।

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भगवान / कर्म

भगवान को कर्ता मानने वाले कहते हैं – “ऊपर वाला पांसा फेंके, नीचे चलते दांव”, कर्मों पर विश्वासी कहते हैं – “अंदर वाला पांसा फेंके,

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आर्यिका दीक्षा

प्रथमानुयोग के अनुसार और पुर्नासंघ की परम्परा के अनुसार आर्यिका आर्यिका-दीक्षा दे सकतीं हैं। पर मूलसंघ के अनुसार नहीं। (आर्यिका विज्ञानमति जी ने आचार्य श्री

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भगवान और हम

हम भगवान के अंश नहीं हैं, ना ही भगवान के बाइ-प्राॅडक्ट हैं। बल्कि भगवान बनने का जो कच्चामाल होता है, वह हैं । बस, परिष्कार

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पीपल / पीपली

पीपल (Ficus religiosa) का फल: पंच उदुम्बर में से एक और अभक्ष्य; पीपली या पिप्पली: भक्ष्य, यह फल नहीं है, Piper longum का बीज है,

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Real Thinking

सामर्थ्य न होने पर, किसी कार्य को न कर पाने की सोच,Negative Thinking नहीं, Realistic Thinking है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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विजातीय विवाह

चक्रवर्ती मलेच्छखंड़ से जो रानियाँ लाता था, उनके यहाँ कोई धर्म होता ही नहीं था, इसलिये विजातीय नहीं कह सकते। इसलिये यहाँ के धर्म में

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ख़ुशी / संतुष्टि

ख़ुशी से संतुष्टि मिलती है और संतुष्टि से ख़ुशी | परन्तु दोनों में फ़र्क बहोत बड़ा है …. ख़ुशी थोड़े समय के लिए संतुष्टि देती

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मोक्षमार्ग में तप

मोक्षमार्ग पर प्रगति के लिये…. 1. क्रोधी को विनय तप करना चाहिये । यदि उपवास करेगा तो क्रोध और बढ़ेगा । 2. मानी को वैयावृत

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एकाग्रता

एकाग्रता यानि एक को अग्र बना कर ध्यान करना । केन्द्र पर केन्द्रित करो, परिधि पर सब तुम्हारे चक्कर काटेंगे । मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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मंगल आशीष

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April 25, 2021