Month: April 2021
बोझ / वज़न
बोझ को स्वीकारते ही वह वज़न बन जाता है, बोझ नहीं लगता है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
राग / वीतराग
राग के साथ अधिक दिन रह नहीं सकते, जैसे दुल्हन श्रंगार अधिक दिन नहीं रख सकती । बाद में तो राग को बस ढोना होता
शास्त्र / गुरु
शास्त्र तो मित्रवत होते हैं पर गुरु शत्रुवत व्यवहार करते दिखते हैं । मुनि श्री सुधासागर जी
जीव उत्पत्ति
पसीने वाले भाग को यदि कवर कर दिया जाये तो उसमें भी (सम्मूर्छन) जीवों की उत्पत्ति होने लगती है । मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
वीरासन
जिस आसन में हनुमान जी को(वैदिक परम्परा में) मूर्ति में बैठे दिखाते हैं, वह वीरासन है । मुनि श्री सुधासागर जी
बीता समय
आत्मिक रिश्तों का कभी ब्रेक-अप नहीं होता । जहाँ विश्वास होता है, वहाँ चैक-अप नहीं होता । जी लो मन भर के, क्योंकि…. बीते हुये समय
निश्चय / व्यवहार
व्यवहार सापेक्ष है, पर्याय की अपेक्षा । निश्चय को भी सापेक्ष कह सकते हैं, पर द्रव्य की अपेक्षा । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
घनिष्टता
छोटा सा कंकड़ भी पानी में डूब जाता है, बड़ा भारी खंबा नहीं, क्योंकि कंकड़ की घनिष्टता ज्यादा होती है । पैसा थोड़ा हो, घनिष्टता
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