Month: May 2021
ध्रुव / अध्रुव
ध्रुव भाव आते ही, अध्रुव पदार्थ भी आने लगते हैं क्योंकि ध्रुव भाव में साता रहती है । जहाँ साता/संवेग रहती है वहाँ वैभव आता
खंडित मूर्ति
मंदिर परिसर में खंडित मूर्तियाँ नहीं रखनी चाहिये । उन्हें संग्रहालयों में भेज देना चाहिये । मुनि श्री सुधासागर जी
कर्मबंध
कुछ कर्म 7वें गुणस्थान में ही बंधते हैं जैसे अहारक-द्विक (शरीर+अंगोपांग), इनका उदय 6 गुणस्थान में । इन कर्मों के बंध का कारण भी राग (संयम अवस्था
पैसे से पैसा
ग्वालियर में वर्षा कम होने का कारण – “नमी का कम होना” । इसीलिये रेगिस्तानों में बहुत कम तथा तटीय क्षेत्रों में बहुत ज्यादा बारिश
उद्वेग / संवेग
इन दोनों में से हमें क्या पसंद है ? उद्वेग – हम कुछ हैं, बाह्य Achievement/आत्मा से दूर ले जाता है । संवेग – “मैं”
बोल
मनचाहा बोलने के लिये, अनचाहा सुनने की क्षमता भी होनी चाहिये । मुनि श्री प्रमाणसागर जी (यश के प्रश्न के जवाब में)
कर्म
कर्म सम्यग्दृष्टि के “हो जाते हैं”, मिथ्यादृष्टि “करते हैं” । मुनि श्री सुधासागर जी
“कल” कैसा ?
“कल” आएगा, यह बात तय है, लेकिन हम उसे किस सूरत में देखना चाहते हैं, यह हमें आज ही तय करना होगा….! (सुरेश)
धर्म
धर्म दर्द देता है, यदि सुख मिल रहा है तो वह धर्म है ही नहीं, यही कारण है कि प्राय: लोगों के जीवन में धर्म
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