Day: May 11, 2021

सर्वज्ञता

बिना ज्ञेय में प्रवेश किये, सर्वज्ञ ही जानते हैं, निर्लिप्तता में जो आनंद/पूर्णता, वह लिप्तता में कहाँ ! ममता से शून्यता, उसे जो समता से

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वृद्धावस्था

चढ़ता सूरज सुंदर लगता है । दोपहर का तेजस्वी/पसीना निकाल देता है/उसके सामने सब सिर झुकाते हैं । शाम को भाव होते हैं – “डूब

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मंगल आशीष

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May 11, 2021