Month: May 2021
अवधि/मन:पर्यय ज्ञान
अवधि-ज्ञान की सीमा ज्यादा, मन:पर्यय ज्ञान की सीमा कम क्यों ? लोहे की तराजू क्विंटल में नापती है, सोने/हीरे की ग्रामों में । मन:पर्यय, महत्वपूर्ण
संत / साहित्य
संत —- जिनसे मन शांत हो । साहित्य – जिनसे हित सधे । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
सूतक
रावण की चिता शांत भी नहीं हुई थी कि उनकी सारी (16 हजार) रानियों ने दीक्षा ले ली । धर्म करने में सूतक बाधक नहीं
मुसीबत
दुश्मन चाहे मनुष्य रूप में हो या कर्मरूप में, वह तो अपना स्वार्थ देखेगा ही । आप उसे यह नहीं कह सकते कि… हे !
नृत्यकारणी देवियाँ
देवियों की नृत्यकारणी सैनायें भी होती हैं । श्री उत्तरपुराण – पेज 402 (पं. रतनलाल बैनाडा जी)
बच्चों की परवरिश
बच्चों को राजकुमार मानो/राजकुमारों की तरह परवरिश करो, चलेगा । पर राजा मत मान लेना वरना वे ख़ुद तो सैनिक ही बन पायेंगे और माता-पिता
उदीरणा
किसी भी कर्म के अनुभाग, प्रकृति, प्रदेश तथा स्थिति की उदीरणा साथ साथ होती है । मुनि श्री सुधासागर जी
Object
मन का Waste बचाकर,Invest करो । Object से हटकर, Subject पर जाओ । Object तो एक के बाद एक आते ही रहते हैं, उनमें हम
ग्रंथ
आध्यात्म : जो अधिकृत हों, आत्मा के विषय में । सिद्धांत : जो अंत में सिद्धों की ओर ले जायें (पहले संसार घुमाकर) जैसे जीवकांड/कर्मकांड
सुधारना
यदि कोई नहीं सुधरता, छोड़ दें । पर किसी को बिगाड़ने (आदतें खराब करके) में निमित्त तो ना बनें । चिंतन
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