Month: May 2021
सर्वज्ञता
बिना ज्ञेय में प्रवेश किये, सर्वज्ञ ही जानते हैं, निर्लिप्तता में जो आनंद/पूर्णता, वह लिप्तता में कहाँ ! ममता से शून्यता, उसे जो समता से
वृद्धावस्था
चढ़ता सूरज सुंदर लगता है । दोपहर का तेजस्वी/पसीना निकाल देता है/उसके सामने सब सिर झुकाते हैं । शाम को भाव होते हैं – “डूब
श्रुतकेवली
श्रुतकेवली, 6 से 12 गुणस्थानवर्ती होते हैं । मुनि श्री सुधासागर जी
अंतिम मंज़िल
राजा को चंदन की लकड़ी में, रंक को कंडों में जलाया जाता है । पर दोनों की राख एक सी, न चंदन वाली में सुगंध,
केवलज्ञान
केवलज्ञान आत्मा की पर्याय नहीं है, ज्ञानगुण की पर्याय है । मुनि श्री सुधासागर जी
उपकार
लोगों के काम आते रहिये… क्योंकि , क़ुदरत का एक उसूल है कि जिस कुँए से लोग पानी पीते रहते हैं, वो कभी सूखता नहीं
साधक
अपने मैले कपड़े को धोने वाला जब कपड़े पर पानी डालता है, तब मैल और उजागर होता जाता है। आदिनाथ भगवान गृहस्थ अवस्था में नित्य
प्रेम
जिससे जितनी बातें करते हो, उससे उतना ही प्रेम हो जाता है । भगवान/गुरु से कभी बातें की ? मुनि श्री अविचलसागर जी
गणधरों से शंका समाधान
समवसरण में सब गणधर अलग-अलग जगहों पर चारों ओर बैठते हैं ताकि उनकी तरफ के जीव अपनी-अपनी तरफ वाले गणधरों से प्रश्न कर सकें ।
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