Month: June 2021
शुभोपयोग
सम्यग्दृष्टि के शुभोपयोग या शुभोपयोग से सम्यग्दर्शन ? आगमानुसार सम्यग्दृष्टि को ही शुभोपयोग पर सम्यग्दर्शन होगा, शुभ-क्रियाओं से ही । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
सत्य
पूर्ण सत्य तो भगवान ही जानते/कह सकते हैं । संसारी/संसार चलाने के लिये असत्य पर भी विश्वास करता है जैसे ज़हर से बनी दवा बीमारी
देव-आयु-बंध
देव-आयु-बंध, शुभ-लेश्या के साथ ही होता है । मुनि श्री महासागर जी
भूत / वर्तमान / भविष्य
तीतर के दो आगे तीतर, तीतर के दो पीछे तीतर; आगे तीतर, पीछे तीतर, बोल कितने तीतर ? तीन । नाम ? भूत, वर्तमान, भविष्य
दिव्यध्वनि
दिव्यध्वनि तो भगवान की, फिर उसे देवकृत अतिशय क्यों कहा ? क्योंकि देवता दिव्यध्वनि को 12 कोठों में सुचारू रूप से सुनाने में सहायक होते
दूसरों की चिंता
जिनका स्वाध्याय/धर्म में मन लगता है, उनकी चिंता नहीं/चिंता करने की ज़रूरत भी नहीं । जिनका मन नहीं लगता, उनकी चिंता करने से लाभ नहीं
प्रासुक
छेदन-भेदन से भी प्रासुक होता है, जैसे सोंफ आदि को पीसने से/छिलका हटने की अपेक्षा प्रासुक कहा; लेकिन फलों के लिये ये विधि नहीं लगेगी
अपने को ढ़ूंढ़ना
परायों में अपनों को ढ़ूंढ़ना कठिन काम, अपनों में* अपने को ढ़ूंढ़ना और कठिन, अपने में अपने-आपको ढ़ूंढ़ना सबसे कठिन, पर सबसे उपयोगी भी ।
उपसर्ग
उपसर्ग केवलज्ञान से पहले 12वें गुणस्थान तक हो सकते हैं । पं.रतनलाल बैनाड़ा जी
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