Month: July 2021
दिव्य-ध्वनि
भगवान की वाणी न खिरने का मुख्य कारण – वाणी समझने वाले की कमी से ज्यादा, वाणी सुनकर उस पर चलने वाले की कमी है
पसीना
पसीना दो तरह का – 1. कसरत करने से शरीर के लिये लाभदायक । 2. तप करने से आत्मा के लिये लाभदायक । चिंतन
देशना-लब्धि
गुरु का प्रवचन देशना-लब्धि नहीं, “देशना” भर है । उसे सुनने वाला स्वीकार करे तब वह देशना, “लब्धि” बनती है । गुरु की वाणी से
आत्मा
आत्मा को भार* नहीं, आभार** मानो । * भार मानने वाले आत्मघात तक कर लेते हैं । ** कितना उपकार कि आत्मा हमें मोक्ष-मार्ग पर
चक्रव्यूह
माता-पिता संसार में प्रवेश तो सिखाते हैं, निकलना जानते नहीं/जानकर सिखा नहीं सकते, मोहवश । सो गुरु से जोड़ दो, वे सिखा देंगे । वरना
गुण / अवगुण
जग प्रशंसा करे तो गुण, ख़ुद को बताना पड़े तो अवगुण । अवगुणीं तुम्हारे गुणों को स्वीकार नहीं कर पायेंगे; गुणीं पचा नहीं पायेंगे ।
पात्र/अपात्र को दान
सुपात्र को दिया दान, उन जैसा बनाता है, अपात्र को दिया दान पीछे से सहारा/सहायता देता है । जैसे भगवान पार्श्वनाथ ने सबसे बड़े पापी/जिसको
भगवान भारत में ही
भगवान भारत में ही क्यों ? इस धर्म/संस्कृति की फसल के लिये ये ही वातावरण अनुकूल है । जैसे चाय के लिये आसाम, सेव के
भाषा समिति
ब्र. संजय ने आचार्य श्री विद्यासागर जी से सात प्रतिमाओं का नियम लिया । आ. श्री ने पूछा – कुंए का पानी लेते हो ?
अहम्
ट्रेन में 2 यात्रियों में झगड़ा मारपीट तक पहुंच गया । एक खिड़की बंद करता उसे सर्दी लग रही थी, दूसरा खोल देता क्योंकि उसे
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