Month: October 2021
प्रकाश / अंधकार
प्रकाश – निमित्तक, उसके लिये सूर्य/दीपक आदि चाहिये । अंधकार – स्वतंत्र, पुद्गल की स्वाभाविक पर्याय अंधकार है । अच्छाइयों के लिये पुरुषार्थ करना होता
निषेध
मन निषेध के प्रति आकर्षित होता है, यदि निषेध दूसरे के द्वारा आरोपित किया जाये तो। खुद के द्वारा निषेध लगाने पर मन उधर नहीं
धैर्य
गुरु – स्वर्ग की हर चीज़ बहुत बड़ी होती है । शिष्य – लाडू भी ? गुरु – हाँ । शिष्य – तो खिलवाइये ।
प्रतिक्रिया
आचार्य श्री विद्यासागर जी के विरुद्ध किसी ने पुस्तक छपवा दी। मुझे (महाराज जी) बहुत बुरा लगा। आचार्य श्री से आशीर्वाद मंगवाया जबाब देने के
लब्धियाँ
दानादि लब्धियाँ क्षयोपशमिक या क्षायिक क्योंकि दानादि दे पा रहे हो। न दे पाना औदयिक-भाव से। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
सामंजस्य
तम्बू तानते समय खम्बा छोटा पड़ने पर छोटी सी चिप लगा देते हैं। जीवन को Balance करने के लिये थोड़ा सा विवेकपूर्ण रवैया काफी होता
अहिंसा
पक्की सड़क प्रासुक होती है, इस पर चलने में हिंसा नहीं। घास पर चलने से अनंत वनस्पति-कायिक(तथा घास के आश्रित त्रस) जीवों की हिंसा होती
गुरुकृपा
तुलसीदास जी के एक भक्त अपने वैभव आदि का श्रेय गुरु को देते थे। तुलसीदास जी – ये वैभव आदि तो पापियों के भी होते
स्थितिकरण
निश्चय में…. उन्मार्ग की ओर जाते हुये अपने मन को सन्मार्ग में स्थित करना स्थितिकरण है । व्यवहार में…. वात्सल्य के साथ टूटे-फूटे शब्द भी
क्रोध
1. तामसिक – दूसरों को सताने – मरणांतक 2. राजसिक – अहंकार पुष्टि – दीर्घकाल 3. सात्विक – दूसरों की भलाई के लिये – अल्पकाल
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