Month: November 2021
गुरु
भावलिंगी साधु खुद बनते हैं, गुरु को शिष्य बनाता है । मानव खुद बनते हैं, पिता को बेटा बनाता है । अरिहंत खुद बनते हैं,
भावना
मुनि श्री महासागर आदि 25 ब्रह्मचारियों की दीक्षा बहुत दिनों से रुकी हुई थी । वह सब आचार्य श्री विद्यासागर जी के पास गए, निवेदन
दर्शन / ज्ञान का क्रम
सबसे पहले दर्शन, फिर ज्ञान (मिथ्या); जो बताएगा – सच्चे देव, गुरु, शास्त्र तथा सच्ची श्रद्धा क्या होती है और इसके जानने/मानने से ही सम्यग्दर्शन
उलझन
उलझनों से कैसे निकलें ? 1. उलझन में उलझें नहीं । 2. आचार्य श्री विद्यासागर जी कहते हैं – “उलझन” में से “उ” निकाल कर,
प्रतिक्रमण
मुनियों से भी गलतियाँ होती है (जाने/अनजाने), चौथे काल में भी गलतियाँ होतीं थीं। इसलिए उन्हें प्रत्येक दिन तीन बार प्रतिक्रमण करना होता है ।
साधु
भगवान ने कहा – संयम/ त्याग/ ब्रह्मचर्य में आनंद है । सामान्य गृहस्थ को विश्वास नहीं होता । साधुओं ने पूरा संयम/ ब्रह्मचर्य करके दिखाया,
समानता
जब मेरा अस्तित्व है, तो सामने वाले का नहीं होगा क्या ! दोनों के आत्मप्रदेश असंख्यात-असंख्यात, जब से मैं, तब से वह; यह है अस्तित्व-गुणों
सम्बंध
कमल इतना पवित्र/ सुंदर/ सुगंधित होते हुए भी जन्मदात्री कीचड़ से सम्बंध नहीं तोड़ता । हम बड़े होते ही ! (हाँ ! यदि भगवान के
सम्बंध
1-1 = 0, 1+1 = 2 आदि Values “1” से थोड़ा कम/ज्यादा हो जातीं हैं। लेकिन “1” अंक यदि अपनी स्वतंत्रता बनाए रखें/ आपस में
आहार / भीख
भीख – लेने वाला जब धन्य हो, आहार – देने वाला जब धन्य हो । मुनि श्री सुधासागर जी
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