भावना

मुनि श्री महासागर आदि 25 ब्रह्मचारियों की दीक्षा बहुत दिनों से रुकी हुई थी । वह सब आचार्य श्री विद्यासागर जी के पास गए, निवेदन किया – कोई मंत्र दे दें, ताकि हम लोगों की दीक्षा हो जाए।
आचार्य श्री ने मंत्र दिया – “दीक्षा हो जाए” इसकी जाप जपो । थोड़े दिनों में दीक्षा हो गई ।
पहले मंत्र का फल तो मिल गया अब कोई और मंत्र ?
1. सबका कल्याण हो ।
2. समाधि-मरण हो ।
भावना भाने का जीवन में बहुत महत्व होता है ।

मुनि श्री महासागर जी

Share this on...

One Response

  1. भाव का तात्पर्य जीव के परिणाम को कहते हैं। जैन दर्शन में भावनाओं का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
    अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि मुनि महाराज जी ने आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी से दीक्षा के लिए मंत्र दिया गया था कि दीक्षा हो जाने की भावना भावो, इसके बाद उनको दीक्षा मिल गयी थी। पहिले तो मंत्र मिल गया,अब उनके लिए मंत्र दिया गया था कि,सबका कल्याण हो एवं समाधि मरण हो। अतः जीव जिसकी तो भावना होती है,उसका परिणाम अवश्य मिल सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

November 25, 2021

May 2024
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031