Month: November 2021
निशंकित / व्रत
कृष्ण जी व्रत नहीं ले सकते थे पर निशंकित अंग पक्का था – जिनवाणी पर शंका नहीं थी, सो सबको व्रत लेने के लिये प्रेरित
दान
दान क्यों ? पाप के प्रक्षालन के लिये । पापी कौन ? देने वाला या लेने वाला ? कृतज्ञता कौन माने, देने वाला या लेने
निर्वाण-दिवस
लाडू सब तरफ़ से मीठा होता है, आत्मतत्व भी । रागरंग में भी विराग का अनुभव करते हैं । मृत्यु पर रोते नहीं (क्योंकि खुद
दीपावली
हम लक्ष्मी के स्वागत में सजावट करते हैं/दीप जलाते हैं/पटाखे चलाते हैं(पर भूल जाते हैं-प्रदूषण को,अहिंसा को) दीपावली दो महान कार्यों के लिये मनायी जाती
राग / वैराग्य / वीतराग
आत्मानुराग में राग है, वीतरागता में नहीं । वैराग्य में प्रवृत्ति है, वीतरागता में नहीं । मोक्षमार्ग/साधना की वैराग्य प्रथम सीढ़ी है, वीतरागता अंतिम ।
धर्म की प्रासंगिकता
आज के समय में धर्म की प्रासंगिकता कितनी है ? दु:ख में धर्म की ज़रूरत ज्यादा होती है/महत्त्व ज्यादा महसूस होता है। पंचमकाल/कलयुग में दु:ख
भय-संज्ञा
संज्ञाओं को समझाने के लिये कहा – “इच्छायें” । पर “भय” इच्छा कैसे हो सकता है ? योगेन्द्र भय देखकर/जानकर, बचने की इच्छा ही तो
धर्म-ध्यान
धर्म में ध्यान आवश्यक नहीं, सहायक है । ध्यान तो जानवर भी कर लेते हैं । धर्म तो आत्मज्ञान से होता है/आवश्यक है । मुनि
पिस्ता / खसखस
पिस्ता और खसखस के बीज अभक्ष्य नहीं होते हैं । मुनि श्री सुधासागर जी
पर्यावरण
नल बंद क्यों करें ! जब पानी आना बंद होगा तब नल अपने आप बंद हो जायेगा । हाँ ! जब ज़मीन में पानी समाप्त
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