भय-संज्ञा
संज्ञाओं को समझाने के लिये कहा – “इच्छायें” ।
पर “भय” इच्छा कैसे हो सकता है ?
योगेन्द्र
भय देखकर/जानकर, बचने की इच्छा ही तो होती है । इसीलिये उसे भय-संज्ञा कहते हैं ।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
संज्ञाओं को समझाने के लिये कहा – “इच्छायें” ।
पर “भय” इच्छा कैसे हो सकता है ?
योगेन्द्र
भय देखकर/जानकर, बचने की इच्छा ही तो होती है । इसीलिये उसे भय-संज्ञा कहते हैं ।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
One Response
संज्ञा आहार आदि विषयों की अभिलाषा को कहते हैं,यह चार प्रकार की होती है , आहार,भय, मैथुन व परिग़ह। संसारी जीव इन चार संज्ञाओं के कारण अनादिकाल से पीड़ित है।भय का मतलब जिस कार्य के उदय से जीव भयभीत हो जाता है।
उपरोक्त कथन सत्य है कि भय देखकर या जानकर,बचने की इच्छा ही होती है, इसलिए उसे भय संज्ञा कहते हैं।