Month: June 2022
दिव्यध्वनि
1. अक्षरात्मक – क्योंकि समझ आती है/ज्ञान प्राप्त कराती है। 2. अनक्षरात्मक – देवताओं तथा पशुओं को भी समझ आती है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
शिक्षा-सूत्र
शिष्यों को – यदि कल्याण करना चाहते हो तो मात्र दो चीजें करना – 1. स्वयं तो गलती करना नहीं। 2. दूसरों की देखना नहीं।
गुप्ति
जिसके बल से संसार के कारणों से आत्मा की रक्षा होती है। आगम भाषा में जिसे गुप्ति हैं, अध्यात्म में उसे ध्यान कहते हैं। आचार्य
मर्यादा
जब कोई मर्यादा (औकात) से ज्यादा बातें करने लगे/परछायीं कद से ज्यादा बड़ी हो जाये तब जान लो – सूरज ड़ूबने वाला है। मुनि श्री
उत्पाद / व्यय
उत्पाद और व्यय में काल भेद कथंचित है जैसे स्वर्ण से हार बनते समय/ स्थूल रूप से/ व्यंजन पर्याय में, पर अर्थ पर्याय में नहीं
Religion / Society
A man who puts aside his religion because he is going into society, is like one taking off his shoes because he is about to
संदर्भ
आचार्यों के संदर्भ देने से — 1. स्वयं की विशुद्धि बढ़ती है । 2. श्रुत की रक्षा होती है । आचार्यों के उदाहरण ही प्रवचनों
धन / पाप / दान
धन तो सबने मिलकर भोगा, समाप्त कर लिया। बचा क्या ? धन कमाने में कमाया पाप, यह हमें अकेले ही भोगना होगा। इसका कुछ अंशों
योग्यता
जीव पिछले जन्म में पुरुषार्थ करता है, उसके अनुसार अगले जन्म में पहले योग्यता ग्रहण करता है फिर शरीरादि बनाने के लिये वर्गणायें जमा करता
मलद्वार
नौ मलद्वारों में से, 2 One way हैं, 2 पर Natural Filters लगे हैं(आँखें), बाकी 5 Direct Highway (मुंह, नाक*, कान) हैं, इसलिये इन 5
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