Month: June 2022

आत्मकल्याण

दोषों में मौन रहना और गुणों का निरीक्षण करना ही आत्मकल्याण में तत्परता है। आचार्य श्री विद्यासागर जी

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संयम

अंतरदृष्टि होने के बाद भी संयम की आवश्यकता है। दवाई प्राप्त करने मात्र से काम नहीं चलता, उसे उचित मात्रा में, उचित समय पर, परहेज

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संसार / परमार्थ

जब तक संसार में हो – भोगो मत पर भागो भी मत, भाग लो – Adjust करके। जो संसार में Adjust नहीं कर पाते, वे

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सीताफल

1. सीताफल में गूदा कम, बीज ज्यादा, Process ज्यादा, गृद्धता दिखती है। 2. प्रासुक करना कठिन, सो Avoid करें। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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रुचि

शुभ क्रियाओं में रुचि 3 प्रकार की – 1. कब पूरी होंगी ? – जघन्य/हल्की 2. पूरी तो नहीं हो जायेंगी – मध्यम 3. पूरी

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मिथ्यात्व

दो प्रकार का मिथ्यात्व- 1) नैसर्गिक – स्वभाविक रूप से,कर्मोदय से, अगृहीत। 1 से 5 इन्द्रिय जीवों में। 2) अधिगम – उपदेश से, संज्ञी जीवों

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हिसाब-किताब

मरना है तो मर जा, पर जीते जी कुछ कर जा, अन्यथा कर्जा तो मत ले कर जा। आचार्य श्री विद्यासागर जी (जितने कर्म लेकर

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भीति/ प्रीति/ प्रतीति

पाप से भीति बिना, भगवान से प्रीति नहीं, और भगवान से प्रीति बिना आत्मा की प्रतीति नहीं। आचार्य श्री विद्यासागर जी

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वक्त पर काम

“वक्त पर बोये ज्वार मोती बनें” । एक गरीब ज्योतिषी ने विलक्षण मुहूर्त देखा, जिसमें अनाज हवन में डालने पर वे मोती बन जाएंगे। पर

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मंगल आशीष

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June 5, 2022