Day: July 13, 2022

गुप्ति

1. अप्रिय/व्यंग्यवाणी/असत्य बोलने से रोकती है। 2. प्रवृत्ति में भाषा-समिति के साथ/छन्ना लगाकर/हित, मित, प्रिय बोल। 3. निवृत्ति – बोलना ही नहीं। मुनि श्री प्रणम्यसागर

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दिव्य-दृष्टि

द्रोणगिर में हम 4-5 बहनों के आचार्य श्री विद्यासागर जी के प्रथम दर्शन के समय, मैने आ. श्री से कुछ व्रत/नियम के लिये प्रार्थना की।

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मंगल आशीष

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July 13, 2022