Day: August 19, 2022

शय्या परिषह जय

एक आसन/करवट/दंडाकार या धनुषाकार, न बने तो उठकर आत्मध्यान करना। कठोर आसन पर बैठना/सोना। सुख आनंद नहीं लेना।

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विनय

विनय को पाने में दान भी सहायक होता है। कैसे ? दान से ममकार (मेरा-मेरा) के भाव कम होते हैं तथा पर-उपकार के भाव से

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मंगल आशीष

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August 19, 2022