Month: August 2022
दिव्यध्वनि
आगमानुसार दिव्यध्वनि मुख से ही खिरती है, सर्वांग से नहीं जैसा पूजादि में लिखा है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
प्रमादी
प्रमादी का भाग्य कभी नहीं फलता। भाग्य भरोसे बैठने वालों को वही वस्तुयें मिलती हैं, जो पुरुषार्थी छोड़ जाते हैं। आचार्य श्री विद्यासागर जी
धर्म-ध्यान
अच्छे विचारों से एकाग्रता आती है। एकाग्रता होने पर धर्म-ध्यान होगा। अच्छे विचारों के लिये 4 विषय दिये हैं – 1. आज्ञा-विचय 2. अपाय-विचय 3.
स्वस्थता
स्वस्थ वह है, जो बिना दवाइयों के जीवन जी रहा हो। इन्द्रिय-भोग दवायें हैं, इच्छाओं को दबाने की, पर इनसे इच्छाओं की पूर्ती नहीं होती,
पात्रता
देशना लब्धि (जिनवाणी सुनने) की पात्रता उसी में जो भक्ष्य-अभक्ष्य का विवेक रखता है। सम्यग्दर्शन की भूमिका/योग्यता – जो व्यसन मुक्त हो। आचार्य श्री विद्यासागर
याचना / प्रार्थना
याचना…. संकट/दु:ख दूर कर दो। प्रार्थना…. संकट/दु:ख में स्थिरता रख सकूँ, ऐसी शक्त्ति दो। मुनि श्री प्रमाणसागर जी
दर्शन मोहनीय से अदर्शन
दर्शन मोहनीय के 3 भेदों में सम्यग्दर्शन के साथ सम्यक्-प्रकृति में परिषह/दोष भी। (क्षयोपशम) सम्यग्दृष्टि के चल, मल, अगाढ़ दोष होते हैं। चारित्रवान को भी
थकान
गुरु जी! आप थकते नहीं हैैं ? गुरु…. थमा हुआ थकता नहीं, थमे को तो काम करने से ऊर्जा आती है। भागने वाले को भी थमने
मोह / अज्ञान
मोह से मैं ज्ञानी हूँ – प्रज्ञा भाव, मैं अज्ञानी हूँ – अज्ञान भाव, ये भाव मिथ्यात्व से नहीं, क्योंकि संयमियों भी पाये जाते हैं।
बुद्धि / विवेक
दुनिया का ज्ञान प्राप्त हो गया पर दुनिया से दूर रहने की कला नहीं आयी, तो बुद्धि किस काम की ! बुद्धि कच्चा माल है,
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