Month: August 2022
सुदर्शन महाराज
शांतिधारा में “सुदर्शन महाराज” नाम आता है। सुदर्शन यानि सु-दर्शन = सम्यग्दर्शन या जिन-दर्शन; महाराज = महान राज करने वाला। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
प्रथमानुयोग
प्रथमानुयोग भले ही कहानियों के माध्यम से बहुत राउंड लेकर तत्त्व पर आता है। परन्तु आचार्य समंतभद्र स्वामी ने इसे – बोधि समाधि का निदान,
पाप क्रियायें
घर में गंदगी/धूल दिन-रात आती रहती है, सफाई कई बार। जीवन में पाप क्रियायें हर समय, उनकी सफाई कम से कम एक बार तो भाव/प्रायश्चितपूर्वक
शय्या परिषह जय
एक आसन/करवट/दंडाकार या धनुषाकार, न बने तो उठकर आत्मध्यान करना। कठोर आसन पर बैठना/सोना। सुख आनंद नहीं लेना।
विनय
विनय को पाने में दान भी सहायक होता है। कैसे ? दान से ममकार (मेरा-मेरा) के भाव कम होते हैं तथा पर-उपकार के भाव से
बारह भावना
बारह भावना, बिना फल की इच्छा से, भाव सहित भाने से लौकांतिक देव तक बन सकते हैं। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
जिज्ञासा / शंका
जिज्ञासा – दाल में नमक है या नहीं ? शंका – दाल में ज़हर तो नहीं डाला ? मुनि श्री प्रमाणसागर जी
आयु/गति बंध
आयु-बंध हो जाने के बाद, गति-बंध भी आयु-बंध के अनुसार ही होने लगता है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
आचरण
आचरण के बिना “साक्षर” बने रहने में (इसके विपरीत) “राक्षस” बन जाने का ख़तरा भी रहता है। आचार्य श्री विद्यासागर जी
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