Month: September 2022

स्वाभिमान / अभिमान

स्वाभिमान…. पद की गरिमा बचाये रखने की सावधानी। अभिमान…… मान की चाहना। मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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शुद्ध ज्ञान/दर्शन

शुद्ध ज्ञान/दर्शन, शुद्ध पदार्थ को विषय बनाता है। तो क्या अशुद्ध पदार्थ को विषय नहीं बनाते ? पदार्थों को ज्यों का त्यों जानना भी शुद्ध

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सुंदर जीवन

उपवन को सुंदर बनाये रखने के लिये सड़े/ सूखे/ असुंदर पत्तों को हटाना होता है। ऐसे ही जीवन में से सड़ी गली आदतों को हटा

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ध्यान

ध्यान-साधना के लिये, आसन-साधना आवश्यक है और आसन-साधना के लिये अशन (ऊनोदर)-साधना होनी ही चाहिये। आचार्य श्री विद्यासागर जी

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धर्म-प्रभावना

धर्म प्राप्ति के लिये विशेष प्रयत्न, प्रभावना है। भावना अच्छी हो तभी प्रभावना होती है। व्रतों तथा सादगी का प्रभाव प्रभावना पर अवश्य पड़ता है।

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अतदाकार स्थापना

अतदाकार स्थापना जैन दर्शन में इसलिये नहीं क्योंकि इससे मिथ्यात्व की पुष्टि हो सकती है, क्योंकि किसी भी रूप की पूजा अपने-अपने मन से शुरु

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प्रसिद्धि

प्रसिद्धि और विवाद एक दूसरे के पूरक हैं। मुनि श्री सौम्यसागर जी

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वीर्याचार

चारों प्रकार के आचारों की सुरक्षा के लिये वीर्याचार आवश्यक है। रूचि पैदा करने से भी वीर्यान्तराय कर्म का क्षयोपशम होता रहता है। आचार्य श्री

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आज का ज़माना

कैसी विडम्बना है – Welcome Drink में नकली नींबू का रस डाला जाता है। और हाथ धोने (Finger bowl) के लिये असली नींबू!! (अरविन्द)

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अर्थ

शब्दों के माध्यम से मन जितना-जितना अर्थ की ओर जाता है, उसकी एकाग्रता उतनी-उतनी बढ़ती जाती है। शब्दों को फोड़ने का प्रयास करो, उसके माध्यम

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मंगल आशीष

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September 15, 2022

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