Month: October 2022

अध्यात्म शास्त्र

द्रव्य-संग्रह अध्यात्म शास्त्र है, अध्यात्म शास्त्र का अर्थ – संसार के सारे पदार्थ गौण हो जायें और केवल उपादेय/प्राप्तव्य है – शुद्धत्व सिद्ध परमेष्ठी हमारे

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ग़लत फ़हमी

इंसान सारी ज़िंदगी इस धोखे में रहता है कि… वह लोगों के लिए अहम है। लेकिन हकीकत यह होती है कि.. आपके होने ना होने

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निर्जरा

असंख्यात गुणी निर्जरा के 10-11 स्थान हैं – सम्यक्त्व(4थे गुणस्थान) के समय से लेकर 13 गुणस्थान तथा केवली समुद्घात तक। 14वें गुणस्थान में तो 85

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चिंतन

दिन में भोजन, रात को जुगाली। ऐसे ही दिन में अध्ययन और रात में जुगाली के रूप में अध्ययन का चिंतन होना चाहिए। जो अध्ययन

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पाप/पुण्य बंध

पाप की निर्जरा के साथ पुण्य-बंध तो होगा ही। पुण्यानुबंधीपुण्य पाप की निर्जरा करता है। आगम में 10वें गुणस्थान तक किसी भी पुण्यप्रकृति की निर्जरा

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गुणवान

“यस्य कस्य प्रसूतोsपि, गुणवान पूजते नरः। धनुर्वंश-विशुद्धोपि, निर्गुणः किं करिष्यति।।” अर्थात- “मनुष्य कहीं भी, किसी भी कुल में पैदा हुआ हो, यदि वह गुणवान है,

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अंजन को ज्ञान

अंजन चोर को पूर्व का ज्ञान ! कैसे घटित करें ? जब तक वह चोर था, उसे पूर्व-विद नहीं कहेंगे। संयम/तप करने पर हो गया

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अच्छा बनना/होना

“अच्छा बनना” और “अच्छा होने” में जमीन और आसमान का फ़र्क है। हम अच्छा बनने के लिये न जाने कितने अच्छे लोगों की ज़िंदगीयों से

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श्रुत-ज्ञान

(तत्त्वार्थसूत्र – अध्याय 9/सूत्र 37) पूर्वविद, 9 से 14 पूर्व के ज्ञानी को कहते हैं (द्रव्य-श्रुत का ज्ञान), क्षयोपशम से भाव-श्रुत होता है; ये ही

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भूलन-बेल

छत्तीसगढ़ के जंगलों में एक वैद्य रास्ता भूल गये। गाँव वालों से पूछा तो उन्होंने कारण बताया… “भूलन-बेल छुआ गयी होगी”। हम सब भी तो

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मंगल आशीष

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