Month: October 2022
दर्शन/चारित्र विनय
दर्शन यानि सम्यग्दर्शन। अपने दर्शन की विनय = सम्यग्दर्शन को जानने की जिज्ञासा, 8अंगादि को जानने की तथा सम्यग्दर्शन पाने के
साथ
सुख के लम्हें तक पहुंचते-पहुंचते ही हम उन लोगों से जुदा हो जाते हैं, जिनके साथ हमने दुःख झेलकर सुख़ का सपना देखा था। (सुरेश)
विनय तप
जो आत्मायें अपने गुणों को प्रकट करने की साधना में लगी हैं, उनके विनय प्रकट होती है। चारित्र के पुट के साथ सम्यग्ज्ञान की पूज्यता
चिड़िया की तलाश
चिड़िया की तलाश मुनि क्षमा सागर जी को समर्पित एक चिड़िया अब खोजती है उसे जिसके कमरे में उसने अपने बच्चे बड़े किये थे। जब
पुण्य-फल
“पुण्य फला अरहंता” प्रथमानुयोग में नहीं, प्रवचन-सार में लिखा है। अंतर्मुहूर्त तक यदि साता का बंध बिना प्रमाद के हो जाय तो केवलज्ञान हो जायेगा।
शांति
बिना शांत हुए दूध की परिणति नहीं बदलती*, आत्मा की कैसे बदल सकती है ! शांति पाने का उपाय – धर्म/वीतरागता। मुनि श्री महासागर जी
अनायतन
सम्यग्दर्शन, ज्ञान, चारित्र जिसका आवास/ आश्रय/ आधार है, उसमें जो निमित्त होता है, वह आयतन है। उससे विपक्ष – अनायतन। वीतराग सम्यग्दृष्टि के लिये थोड़ा
अच्छा / बुरा
नीम की कड़वाहट बुरी नहीं, वह तो कितनी बीमारियों की दवा बनती है। हमको बुरी इसलिये लगती है क्योंकि हमें मीठा अच्छा लगता है। वाघले
चारित्र
1. चरण = चलना। 2. चारित्र = आत्मा में चर्या करने रूप प्रवृत्ति। 3. सामायिक-चारित्र – प्रथम चारित्र, समभाव रखना। इसके बिना आगे के चारित्र
जीवन-यात्रा
जीवन-यात्रा को सुखद वैसी ही बनायें जैसे सड़क-यात्रा को बनाते हैं- 1. भीड़ भरे शहरों से बचने, Bypass का प्रयोग 2. Bump आने पर Speed
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