Month: October 2022
संक्रमण
सामान्य संक्रमण, हर गुणस्थान में, हर समय। जहाँ-जहाँ अपूर्व-करण, वहाँ गुण-संक्रमण। जिस गुणस्थान में उपशम/क्षय, उनका गुण-संक्रमण, उस गुणस्थान में। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
निर्णय / व्यवहार / निश्चय
साध्य का लक्ष्य बनाना निर्णय है। व्यवहार – जिसके माध्यम से साध्य सिद्ध होता है। साध्य की उपलब्धि – निश्चय। निर्णय को ही निश्चय मानना
मान
जल से ही पैदा हिमखंड (तरल से कठोर), मान के कारण जल के ऊपर/सिर पर ही रहता है, बड़े बड़े जहाजों के विध्वंस में कारण
बाह्यक्रिया
मूलगुण तो इंद्रियजय हैं, न कि मनोविजय। (पहले बाह्यक्रिया/ मूलगुण को निष्ठा से पालो, उसका फल मनोविजय होगा) आचार्य श्री विद्यासागर जी
गुरु / शिक्षा
दक्षिण में शिक्षा को “दंड” देना कहते हैं यानि जो उदंड को डंडे से अनुशासित करे पर कुम्हार के घड़े बनाने जैसा अंदर हाथ रखकर।
Dependency
1. Dependent – जैसे हम लोग दूसरों के पेड़ों से फल खाते हैं। 2. Interdependent – मुनिराज – जगह जगह जाकर फलदार (धर्म के) पेड़
जीवन / गुरु
जीवन एक — 1. संघर्ष – बिना गुरु के, 2. खेल – गुरु मिल जाने पर, 3. उत्सव – गुरु के बताये रास्ते पर चलने
पाप क्रियाओं से बचाव
जब तक पाप क्रियाओं से बच रहे हैं, तब तक सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र काम कर रहे हैं। आचार्य श्री विद्यासागर जी
भाग्य / पुरुषार्थ
भाग्य, कर्म-भूमि की दुनिया में खाका देता है, उसमें रंग पुरुषार्थ से भरा जाता है (अच्छा/ बुरा, पूरा/ अधूरा)। स्वामी विवेकानंद जी (प्रियजनों का मिलना
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